Assault troops approach Omaha Beach on D-Day, June 6, 1944.

डी-डे

6 जून 1944 को फ्रांस के नॉरमैंडी पर डी-डे आक्रमण ने ऑपरेशन ओवरलॉर्ड की शुरुआत को गति दे दी। नॉर्मंडी पर आक्रमण करने वाले इस मिशन का कोड नाम ऑपरेशन ओवरलॉर्ड था। नॉरमैंडी का कैंपेन द्वितीय विश्व युद्ध के सबसे महत्वपूर्ण मित्र देश सैन्य ऑपरेशन्स में से एक साबित हुआ। जर्मनी पर पश्चिमी मित्र देशों की जीत के लिए यह ऑपरेशन बहुत महत्वपूर्ण था। जून के अंत तक 8,50,000 से अधिक मित्र देश सैनिक नॉरमैंडी के समुद्र तटों पर आ चुके थे।

मुख्य तथ्य

  • 1

    6 जून 1944 को ऑपरेशन ओवरलॉर्ड शुरू हुआ। इस तारीख को “डी-डे” के नाम से जाना जाता है। डी-डे आक्रमण इतिहास का सबसे बड़ा जल-से-स्थल पर हुआ आक्रमण था। उस दिन 1,50,000 से अधिक मुख्य रूप से अमेरिकी, ब्रिटिश और कनाडाई सैनिक हवाई और समुद्री मार्ग से तैनात किए गए थे।

  • 2

    डी-डे दिन ने फ्रांस पर जर्मन के कब्जे का अंत होने की शुरुआत को चिह्नित किया। ढाई महीने बाद मित्र देशों की सेनाओं ने पेरिस को आज़ाद करा दिया था।

  • 3

    जून 1944 तक, नाजी जर्मनी और उनके सहयोगियों द्वारा होलोकॉस्ट (1933-1945) में पांच मिलियन से अधिक यहूदियों की हत्या कर दी गई थी। फिर भी, ऑपरेशन ओवरलॉर्ड ने संभवतः पश्चिमी और मध्य यूरोप में लाखों यहूदियों को जीवित रहने में मदद की।

डी-डे 6 जून 1944 को हुआ था। यह ऑपरेशन द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा युद्ध मे किए गए प्रयास के सबसे प्रसिद्ध और सबसे महत्वपूर्ण क्षणों में से एक था।

6 जून 1944 को मित्र देशों की सेनाओं ने ऑपरेशन ओवरलॉर्ड नाम से एक सैन्य ऑपरेशन शुरू किया था। उस दिन, अमेरिकी, ब्रिटिश और कनाडाई सेनाएं इंग्लिश चैनल पार करके फ्रांस के नॉरमैंडी समुद्र तट पर उतरीं थी। इन सैनिकों में कई अन्य देशों के सैनिक भी शामिल थे, जिनमें निम्नलिखित देशों के सैनिक शामिल थे: फ्रांस, नॉर्वे, चेकोस्लोवाकिया, पोलैंड, नीदरलैंड, बेल्जियम, लक्जमबर्ग, ग्रीस, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड। 

आज, "डी-डे" को 6 जून, 1944 से संदर्भित किया जाता है, जो ऑपरेशन ओवरलॉर्ड शुरू करने की तारीख थी। हालांकि, सैन्य शब्दावली में, "डी-डे" किसी भी सैन्य ऑपरेशन के शुरुआत की तारीख को संदर्भित करता है।

डी-डे पश्चिमी यूरोप में मित्र देशों के आक्रमण के उद्घाटन का दिन था। इसके बाद के महीनों में, पश्चिमी मित्र देशों (ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व में) ने जर्मन सैनिकों को फ्रांस और अन्य पश्चिमी यूरोपीय देशों से बाहर खदेड़ दिया। आखिरकार वे जर्मनी में प्रवेश कर गए थे। इसी समय, सोवियत संघ (जो मित्र देशों का भी एक सदस्य था) ने पूर्व से जर्मन सेनाओं से युद्ध शुरू किया। डी-डे के लगभग एक वर्ष बाद 7-8 मई, 1945 को नाजी जर्मनी ने बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया।   

डी-डे और नॉरमैंडी ऑपरेशन की घटनाएं

General Dwight D. Eisenhower with paratroopers of the 101st Airborne Division

जनरल ड्वाइट डी. आइजनहावर 101वें एयरबोर्न डिवीजन के पैराट्रूपर्स के साथ जर्मन द्वारा कब्जा किए गए फ्रांस (डी-डे) में उनके प्रवेश से कुछ घंटे पहले मुलाकात करते हुए। 5 जून, 1944.

क्रेडिट:
  • National Archives and Records Administration, College Park, MD

ऑपरेशन ओवरलॉर्ड का आयोजन अमेरिकी जनरल ड्वाइट डी. आइजनहावर, मित्र देश अभियान बल के सुप्रीम कमांडर के समग्र नेतृत्व में किया गया था। नॉर्मंडी में उतरने वाली जमीनी सेना की कमान ब्रिटिश जनरल बर्नार्ड मांटगोमरी ने संभाली थी। 

ऑपरेशन के दौरान, 1,33,000 मित्र देशों की जमीन से हमला करने वाली सेना नॉरमैंडी के समुद्र तट के लगभग 50 मील तक फैले पांच समुद्र तटों पर उतरी थी। उन समुद्र तटों को कोड नाम दिया गया था (पश्चिम से पूर्व): यूटा, ओमाहा, गोल्ड, जूनो और स्वोर्ड। अमेरिकी सैनिकों ने यूटा और ओमाहा के समुद्र तटों पर हमला किया था, जबकि ब्रिटिश और कनाडाई इकाइयों ने गोल्ड, जूनो और स्वोर्ड के समुद्र तटों पर धावा बोला था। जल-से-स्थल तक लैंडिंग करने की पहली रात को, 23,000 से अधिक अमेरिकी, ब्रिटिश और कनाडाई पैराट्रूपर्स पैराशूट और ग्लाइडर द्वारा जर्मन सुरक्षात्मक रेखाओं के पीछे फ्रांस में उतरे थे। शुरुआती आक्रमण में लगभग 1,95,000 नौसैनिकों और व्यापारी नाविकों, 7,000 जहाजों और 11,500 से अधिक विमानों ने सहयोग दिया था।

पहले, फील्ड मार्शल गर्ड वॉन रुन्स्टेड्ट और एर्विन रोमेल की कमान में, जर्मनों ने युद्ध में बढ़त हासिल कर ली थी। जर्मन की सातवीं सेना, एक टैंक डिवीजन सहित छह डिवीजनों के साथ, उत्तर-पश्चिम फ्रांस को किसी भी आक्रमणकारी सेना से बचाने के लिए तैनात थी। हालांकि, मित्र देशों को नौसैनिक और वायु शक्ति के समर्थन से भारी बढ़त हासिल हुई थी। इसके अतिरिक्त, मित्र देश द्वारा एक सफल धोखे की योजना के कारण जर्मनों को विश्वास हो गया था कि हमले का पॉइंट कैलाइस और बेल्जियम की सीमा के पास उत्तर और पूर्व में तट पर होगा। शुरुआती लैंडिंग के बाद जर्मन सेना ने नॉरमैंडी की सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए धीरे-धीरे आगे कदम बढ़ाए, ताकि अगर मित्र देश कहीं और बड़ा हमला करके ध्यान हटाने की कोशिश करें तो वे इसका सामना कर सकें।

बीबीसी ने बारह बजे घोषणा की, "यह डी-डे है।" 'यह वही दिन है।' आक्रमण शुरू हो गया है...क्या यह सचमुच लंबे समय से प्रतीक्षित लिबरेशन की शुरुआत है? एक ऐसा लिबरेशन जिसके बारे में हम सब इतनी बातें करते रहे थे, जो बाते अभी भी इतनी अच्छी लगती है, इतनी परीकथा जैसी कि कभी सच नहीं हो सकती? क्या 1944 वह वर्ष है, जो हमें विजय दिलाएगा? अभी तक हमें पता नहीं है। लेकिन जहां आशा है, वहीं जीवन है। यह कदम हमें नये साहस से भर देता है और हमें फिर से मजबूत बनाता है।”
-ऐनी फ्रैंक, डायरी में प्रविष्टि दिनांक 6 जून, 1944

6 जून की रात तक 1,50,000 से अधिक मित्र सैनिक हवाई या समुद्री मार्ग से फ्रांसीसी धरती पर पहुंच चुके थे। मित्र देशों की सेना को 10,000 से अधिक हताहतों का सामना करना पड़ा (जिसमें सैनिक मारे गए, घायल हुए या लापता हुए), जिनमें से 4,400 की मृत्यु की पुष्टि हुई थी। ब्रिटिश और कनाडाई सेनाओं को लगभग 3,700 हताहतों का सामना करना पड़ा; और अमेरिकी सेनाओं को लगभग 6,600 हताहतों का सामना करना पड़ा। जर्मन सेना को 4,000 से 9,000 लोगों की हताहतों का सामना करना पड़ा।

डी-डे के दिन मित्र देश शुरुआती समय में समुद्रतटों को जोड़ने या 9 मील की दूरी तक अंतर्देशीय क्षेत्र में जाने के अपने नियोजित उद्देश्य तक पहुंचने में असफल हो गए थे। लेकिन, 11 जून को मित्र देशों की सेना ने जर्मन प्रतिरोध पर बढ़त हासिल कर ली थी। उन्होंने आक्रमणकारी समुद्र तटों को एक बड़े समुद्र तट में एकजुट कर दिया। लेकिन मित्र देशों की सैन्य श्रेष्ठता के बावजूद भी, जर्मनों ने मित्र देशों की सेना को अपने धीरे-धीरे बढ़ते समुद्री क्षेत्र में छह सप्ताह तक रोके रखा था। आज उस लड़ाई को नॉर्मंडी की लड़ाई के नाम से जाना जाता है। 

US troops wade ashore at Normandy on D-Day, the beginning of the Allied invasion of France to establish a second front against German ...

अमेरिकी सैनिक डी-डे के दिन नॉरमैंडी के तट उतरते हुए, यूरोप में जर्मन सेनाओं के विरुद्ध दूसरी जगह स्थापित करने के लिए मित्र देशों द्वारा फ्रांस पर आक्रमण की शुरुआत। नॉरमैंडी, फ्रांस, 6 जून, 1944.

क्रेडिट:
  • National Archives and Records Administration, College Park, MD

फ़्रांस की मित्र देशों द्वारा मुक्ति (फ्रांस को लिब्रेट कर दिया)

25 जुलाई 1944 को ऑपरेशन कोबरा की शुरूआत के साथ ही मित्र देशों की सेनाएं सेंट-लो शहर के निकट नॉरमैंडी समुद्रतट से बाहर निकल कर आगे बढ़ गई। वहां से वे उत्तरी फ्रांस में आगे आने लगे। उसके बाद अगस्त के मध्य तक मित्र देशों की सेनाओं ने फलाइज़ के पास नॉरमैंडी क्षेत्र में जर्मन सेना को घेर लिया था और उसका अधिकांश भाग नष्ट कर दिया था। 

जनरल जॉर्ज पैटन की तीसरी सेना के नेतृत्व में मित्र देशों ने उत्तरी फ्रांस की ओर दौड़ करना शुरू किया। 25 अगस्त को मित्र देशों ने पेरिस को आज़ाद कर दिया था, जिसमें फ्रांसीसी सेना की प्रमुख भूमिका थी। सितंबर में अमेरिकी सैनिक लक्ज़मबर्ग (जो उस समय जर्मन राइक में शामिल था) में प्रवेश कर चुके थे। 

संयुक्त राज्य अमेरिका में कई सारे लोगों को उम्मीद थी कि 1944 के अंत तक यूरोपीय युद्ध ख़त्म हो जाएगा। लेकिन, पश्चिमी मित्र देशों की प्रगति धीमी हो गई थी। दिसंबर 1944 के मध्य में, नाजी जर्मनी ने जवाबी हमला किया था, इस हमले को बल्ज़ की लड़ाई के नाम से जाना जाता है। बल्ज़ की लड़ाई में मित्र देशों की जीत निर्णायक साबित हो गई थी। इसीके चलते द्वितीय विश्व युद्ध में मित्र देशों की जीत हो गई थी। 

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नाजी जर्मनी को पराजित करने में डी-डे और ऑपरेशन ओवरलॉर्ड की सफलता महत्वपूर्ण साबित हुई थी। 

डी-डे और होलोकॉस्ट

डी-डे के दिन तक, नाजी जर्मनी और उसके सहयोगियों ने पहले ही पांच मिलियन से अधिक यूरोपीय यहूदियों की हत्या कर दी थी। 

डी-डे के दिन जब मित्र देशों की सेनाएं तट पर पहुंचीं, तो नाजी जर्मनी और उनके मित्र और सहयोगी ने यूरोप के यहूदियों की सामूहिक हत्या को लगातार अंजाम देते रहे। वहां से सैकड़ों मील दूर, नाजी जर्मन और हंगरी के अधिकारी हंगरी से यहूदियों के बड़े पैमाने पर निर्वासन अभियान में भी लगे हुए थे। 15 मई और 9 जुलाई 1944 के बीच, उन्होंने 4,20,000 यहूदियों को ऑशविट्ज़-बिरकेनौ हत्या केंद्र में निर्वासित कर दिया था। वहां नाजी अधिकारियों ने इनमें से अधिकांश लोगों की गैस चैंबरों में हत्या कर दी थी।  

आज, यह स्पष्ट हुआ है कि नाजी जर्मनी पर मित्र देशों की जीत ही होलोकॉस्ट (1933-1945) को रोकने का एकमात्र तरीका था। 

नाजी अधिकारियों ने द्वितीय विश्व युद्ध के अंतिम दिनों तक यहूदियों की हत्या करना जारी रखा था। लेकिन फ्रांस पर मित्र देशों के आक्रमण और उसके बाद की जीतों ने संभवतः पश्चिमी और मध्य यूरोप में लाखों यहूदियों को होलोकॉस्ट में मारे जाने से बचा भी लिया था। जब नाजी जर्मनी के खिलाफ मित्र देश और सोवियत सेनाएं यूरोप में आगे बढ़ीं, तो उन्हें यातना कैम्प, सामूहिक कब्रों और नाजी अपराधों के अन्य स्थलों का सामना करना पड़ा, जहां यूरोप के यहूदियों की नाजियों और उनके सहयोगियों द्वारा सामूहिक हत्या की गई थी। नाजी कैम्प को मुक्त कराना मित्र देशों के सैन्य ऑपरेशन का प्राथमिक उद्देश्य नहीं था, फिर भी अमेरिकी, ब्रिटिश, कनाडाई और सोवियत सैनिकों ने अपने SS गार्डों से कैदियों को मुक्त कराया, बचे लोगों को सहायता प्रदान की, और वहां से सबूत इकट्ठा किए, जिनका बाद में युद्ध अपराधों के मुकदमों में उपयोग किया गया।

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