Jan Karski (standing), underground courier for the Polish government-in-exile who informed the west in the fall of 1942 about Nazi ...

जान कार्स्की

जान कार्स्की निर्वासित पोलिश सरकार में एक भूमिगत कूरियर थे। उन्होंने पश्चिमी मित्र देशों को यूरोपीय यहूदियों की सामूहिक हत्या के सबूत पहुंचाए। उन्होंने वारसॉ यहूदी बस्ती में नाज़ी अत्याचारों और हत्या केंद्रों में यहूदियों के निर्वासन पर रिपोर्ट दी।

मुख्य तथ्य

  • 1

    जान कार्स्की, जान कोज़ीलेव्स्की का उपनाम था। कार्स्की ने नाज़ी जर्मनी के पोलैंड पर कब्जे के खिलाफ पोलिश प्रतिरोध में काम किया।

  • 2

    1942 में, कार्स्की ने वारसॉ यहूदी बस्ती में यहूदियों के साथ नाज़ी जर्मनों का क्रूर व्यवहार देखा। इज़बिका पारगमन शिविर में, उन्होंने जर्मनों को हजारों यहूदियों को हत्या केंद्र की ओर जाने वाली ट्रेनों में ठूंसते हुए देखा। 

  • 3

    1943 में, कार्स्की ने पश्चिमी मित्र देशों को सबूत दिया कि नाज़ी जर्मनी यूरोप के यहूदियों की सामूहिक हत्या कर रहा था। लंदन और वाशिंगटन के नेताओं ने उनकी दलीलों को कार्रवाई के लिए खारिज कर दिया।

जान कार्स्की का जन्म जान कोज़ीलेव्स्की के रूप में 1914 में लॉड्ज़ में एक रोमन कैथोलिक परिवार में हुआ था। द्वितीय विश्व युद्ध से पहले, उन्होंने लॉ स्कूल की पढ़ाई पूरी की और एक राजनयिक बनने का प्रशिक्षण लिया। उन्होंने आर्टिलरी रिज़र्व के लिए ऑफिसर कैडेट स्कूल की पढ़ाई भी पूरी की। अपनी पढ़ाई के दौरान और उसके बाद, कार्स्की ने रोमानिया, जर्मनी, स्विट्जरलैंड और ग्रेट ब्रिटेन में पदों पर राजनयिक और कांसुलर इंटर्नशिप्स की। 1938 में, वह पोलैंड गणराज्य के विदेश मंत्रालय के कांसुलर प्रभाग में शामिल हुए। 

द्वितीय विश्वयुद्ध का प्रारम्भ

Jan Karski, underground courier for the Polish government-in-exile, informed the West in the fall of 1942 about Nazi atrocities against ...

पोलिश निर्वासित सरकार के भूमिगत कूरियर जान कार्स्की ने 1942 के अंत में पोलैंड में यहूदियों के खिलाफ हो रहे नाज़ी अत्याचारों के बारे में पश्चिम को सूचित किया। वाशिंगटन, डी.सी., संयुक्त राज्य अमेरिका, 1943।

क्रेडिट:
  • US Holocaust Memorial Museum

द्वितीय विश्व युद्ध सितंबर 1939 में शुरू हुआ, जिसने राजनयिक सेवा में कार्स्की के आशाजनक करियर को बाधित कर दिया। उस महीने नाज़ी जर्मनी और सोवियत संघ ने पोलैंड पर आक्रमण किया और कब्ज़ा कर लिया। अगस्त 1939 के जर्मन-सोवियत समझौते के अनुसार, नाज़ी जर्मनी ने पोलैंड के पश्चिमी आधे हिस्से पर कब्जा कर लिया और सोवियत संघ ने पूर्वी हिस्से पर कब्जा कर लिया। युद्ध की शुरुआत में, कार्स्की पोलिश सेना में शामिल हुए, लेकिन सितंबर के अंत में सोवियत संघ के द्वारा उन्हें बंदी बना लिया गया। सोवियत कैद में रहते हुए, उन्होंने अंतिम नाम कार्स्की अपनाया। 

नवंबर में, सोवियत और जर्मनों के बीच कैदियों की अदला-बदली के हिस्से के रूप में, कार्स्की जर्मन की हिरासत में आ गए। उन्हें कुछ समय के लिए जर्मनों के द्वारा रेडोम में एक POW शिविर में रखा गया था, लेकिन वे भागने में सफल रहे। वहां से, कार्स्की ने वारसॉ की ओर रुख किया, जहां वे पोलिश भूमिगत प्रतिरोध आंदोलन में शामिल हुए।

होलोकॉस्ट के गवाह के रूप में कार्स्की

कार्स्की भूगोल और विदेशी भाषाओं में असाधारण ज्ञान के साथ-साथ अद्भुत स्मृति के लिए जाने जाते थे। इसने उन्हें जर्मनों और सोवियतों के खिलाफ पोलिश भूमिगत आंदोलन के लिए एक साधन संपन्न कूरियर बनाया। कूरियर के रूप में अपनी क्षमता में, कार्स्की ने प्रतिरोध और लंदन में मुख्यालय स्थित पोलिश निर्वासित सरकार के बीच गुप्त जानकारी पहुंचाई। 1940 के अंत में, एक मिशन पर होने के दौरान, कार्स्की को गेस्टापो ने पकड़ लिया और क्रूरतापूर्वक प्रताड़ित किया गया। इस डर से कि दबाव में वह रहस्य का खुलासा कर सकता है, कार्स्की ने अपनी कलाई काटकर आत्महत्या करने का प्रयास किया, लेकिन उसे अस्पताल भेज दिया गया था। वह पोलिश प्रतिरोध की मदद से भाग निकले।

1942 के अंत में, कार्स्की को वारसॉ यहूदी बस्ती और इज़बिका, जो बेल्ज़ेक हत्या केंद्र में भेजे जाने वाले यहूदियों के लिए एक पारगमन यहूदी बस्ती थी, के अंदर और बाहर तस्करी करके ले जाया गया था। दोनों स्थानों पर, उन्होंने जर्मनों के द्वारा थोपी गई भयावह स्थितियाँ देखीं, जिसके कारण हजारों यहूदी भूख और बीमारी से मर गए। इज़बिका में, एक गार्ड के वेश में, उन्होनें हजारों यहूदियों को मालवाहक कारों में ठूंसते हुए देखा। कार्स्की को पता चला कि ट्रेन उन्हें मार देने के लिए ले जा रही थी।

तब कार्स्की जर्मनी के कब्जे वाले यूरोप से लंदन तक यात्रा करने में कामयाब रहे, जहां उन्होंने पोलिश निर्वासित सरकार और विदेश सचिव एंथनी ईडन सहित, वरिष्ठ ब्रिटिश अधिकारियों को रिपोर्ट दी। उन्होंने उस सब का वर्णन किया, जो उन्होनें देखा और सबूत पेश किया कि नाज़ी जर्मनी पूरे यूरोप से यहूदियों की हत्या कर रहा था। जुलाई 1943 में, कार्स्की वाशिंगटन चले गए और अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट से वही रिपोर्ट देने के लिए मुलाकात की। कार्स्की ने यहूदियों को बचाने के लिए विशिष्ट कार्रवाईयों का अनुरोध किया। हालाँकि, मित्र देशों के नेताओं ने जोर देकर कहा कि जर्मनी की सैन्य हार उनकी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। 

सितंबर 1943 में, कार्स्की लंदन लौट आए, जहां उन्होंने पश्चिम में पोलिश सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए याचिका दायर की (Polskie Siły Zbrojne na Zachodzie)। कई राजनीतिक कारणों से, निर्वासित पोलिश सरकार ने इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। इसके बजाय, फरवरी 1944 में, कार्स्की को जनसंपर्क मिशन पर संयुक्त राज्य अमेरिका में वापस भेज दिया गया। उस वर्ष के दौरान, उन्होंने व्याख्यान दिए, अखबारों में लेख लिखे, और रेडियो पर पोलैंड पर नाज़ी जर्मन कब्जे, पोलिश भूमिगत और नाज़ियों के अधीन यहूदियों की दुर्दशा के बारे में प्रस्तुति दी। 

अमेरिका में जीवन

Jan Karski and General Colin Powell meet during the opening ceremonies of the US Holocaust Memorial Museum.

जान कार्स्की और जनरल कॉलिन पॉवेल यू.एस. होलोकॉस्ट मेमोरियल म्यूजियम के उद्घाटन समारोह के दौरान मिले। वाशिंगटन, डी.सी., 22 अप्रैल 1993।

क्रेडिट:
  • US Holocaust Memorial Museum

युद्ध के बाद, कार्स्की संयुक्त राज्य अमेरिका में रहे। वह 1949 में जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय के संकाय में शामिल हुए और 1952 में जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ फॉरेन सर्विस से अपनी पीएचडी की उपाधि ली। 1984 में पूर्ण प्रोफेसर के पद से सेवानिवृत्त होने तक वे जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय के संकाय में बने रहे।

अपने युद्धकालीन अनुभवों और होलोकॉस्ट की स्मृति से गहराई से प्रभावित होकर, कार्स्की ने पोलिश-यहूदी समझ को बढ़ावा देने और नाज़ीवाद के सभी पीड़ितों की स्मृति का सम्मान करने के लिए अपने शेष जीवन में अथक प्रयास किया। सर्वोच्च पोलिश नागरिक और सैन्य अलंकरण प्राप्त करने के अलावा, कार्स्की को इज़राइल का एक मानद नागरिक माना गया और याद वाशेम के द्वारा "राष्ट्रों के बीच धर्मी" सम्मान के साथ सम्मानित किया गया। 

जुलाई 2000 में वाशिंगटन, डीसी में जान कार्स्की की मृत्यु हो गई।

Thank you for supporting our work

We would like to thank Crown Family Philanthropies, Abe and Ida Cooper Foundation, the Claims Conference, EVZ, and BMF for supporting the ongoing work to create content and resources for the Holocaust Encyclopedia. View the list of all donors.

शब्दावली