Members of the German Security Service (SD) stand with members of the Jewish Community Council in the Jewish community building, ...

Sicherheitsdienst (SD)

SD (सिचेरहाइटसदीनस्त) एक नाज़ी पार्टी इंटेलिजेंस सर्विस थी। यह SS (Schutzstaffel, प्रोटेक्शन स्क्वाड्रन) का हिस्सा था, जो एक अभिजात वर्ग नाज़ी पार्टी अर्धसैनिक संगठन था जो हेनरिक हिमलर के नियंत्रण में था। नाज़ी युग के दौरान, यहूदी विरोधी नीतियों को लागू करने में SD ने अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सबसे कुख्यात रूप से SD, इन्सत्ज़ग्रुपपेन का एक प्रमुख हिस्सा था। 

मुख्य तथ्य

  • 1

    इसके अस्तित्व के अधिकांश समय तक, SD का संचालन रेनहार्ड हेड्रिक द्वारा किया गया और वह उनके साथ निकटता से जुड़े रहे, जो होलोकॉस्ट के इतिहास में एक महत्वपूर्ण नाज़ी व्यक्ति थे।

  • 2

    1930 के दशक में, SS लीडर हेनरिक हिमलर और उनके सहायक रेनहार्ड हेड्रिक ने SD और सिक्योरिटी पुलिस (गेस्टापो और क्रिपो) को साथ मिलाने के लिए काम किया।

  • 3

    सिक्योरिटी पुलिस और SD की इकाइयों ने, जिनमें कुख्यात इन्सत्ज़ग्रुपपेन भी शामिल था, होलोकॉस्ट के दौरान अनेक अपराध किए।

सिचेरहाइटसदीनस्त (सुरक्षा सेवा), आम तौर पर SD कहा जाता है), एक नाज़ी खुफिया /इंटेलिजेंस एजेंसी थी। SD 1931 से 1945 तक अस्तित्व में था। इस अवधि के अधिकांश समय में, इसका नेतृत्व रेनहार्ड हेड्रिक द्वारा किया गया था। SD एक वैचारिक रूप से कट्टरपंथी संगठन था जो होलोकॉस्ट का एक प्रमुख अपराधी बन गया।  

SD SS (Schutzstaffel, प्रोटेक्शन स्क्वाड्रन) का एक उपसमूह था, जो हेनरिक हिमलर के नेतृत्व में नाज़ी पार्टी की कुलीन अर्धसैनिक बल था। SS की इंटेलिजेंस सर्विस के रूप में, SD उन लोगों के बारे में जानकारी इकट्ठा करने के लिए जिम्मेदार थी जिन्हें नाज़ी पार्टी दुश्मन मानती थी, चाहे वे वास्तविक खतरा हों या नहीं। इन कथित शत्रुओं में राजनीतिक विरोधी, यहूदी, फ्रीमेसन और अन्य लोग शामिल थे। SD नाज़ी सरकार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया था जो यहूदी लोगों के बारे में जानकारी एकत्र करता था। SD ने "यहूदी प्रश्न" की समस्या से निपटने के लिए विभिन्न तरीकों का सुझाव दिया और उनका परीक्षण किया।

SD के पहले वर्ष, 1931-1933

1931 की गर्मियों में, SS के लीडर हेनरिक हिमलर ने आधिकारिक तौर पर सिचेरहाइटसदीनस्त (SD) का गठन किया। उन्होंने रेनहार्ड हेड्रिक को नए संगठन का प्रभारी नियुक्त किया। हेड्रिक के नेतृत्व में, SD एक छोटे और कम वित्तपोषित समूह से नाज़ी सरकार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया।

जनवरी 1933 में नाज़ियों के नियंत्रण में आने से पहले, हेड्रिक का SD अभी भी एक छोटा समूह था। 1932 के मध्य में, इसमें अधिकतम 33 पूर्णकालिक कर्मचारी थे। यहाँ तक कि, शुरू में यह नाज़ी के कई खुफिया समूहों में से एक था, और वे सभी अधिक शक्ति और प्रभाव हासिल करने के लिए प्रतिस्पर्धा करते थे। 

प्रारंभिक SD ने नाज़ी पार्टी के राजनीतिक शत्रुओं के बारे में जानकारी एकत्र की। इसका मतलब यह था कि वे जर्मनी में अन्य राजनीतिक दलों और सरकारी अधिकारियों पर जासूसी करते थे। इसी के साथ वे नाज़ी आंदोलन और पार्टी के भीतर हिटलर के विरोधियों के बारे में भी जानकारी एकत्र किया करते थे। प्रारंभिक SD का ध्यान विशेष रूप से तेजी से बढ़ती नाज़ी पार्टी के नए सदस्यों के बारे में जानकारी एकत्र करने पर केंद्रित था। नाज़ियों को चिंता थी कि बड़ी संख्या में नए समर्थकों में पुलिस और अन्य राजनीतिक समूहों के जासूस भी शामिल हो सकते हैं। 

नाज़ी शासन के प्रारंभिक वर्षों में SD, 1933-1936

जर्मनी के वाल्डेनबर्ग में एक कैंपेन रैली में नाजी समर्थक परेड करते हुए। एक भाषण में हिटलर ने वाइमर गणराज्य पर हमला किया और सत्ता प्राप्त करते ही संसदीय सिस्टम को भंग करने का वचन दिया।

क्रेडिट:
  • British Movietone News Ltd.

 

एडॉल्फ हिटलर को 1933 के जनवरी को जर्मनी के चांसलर के रूप में नियुक्त किया गया था। पहले तो नई नाज़ी सरकार में SD की कोई स्पष्ट भूमिका नहीं थी। संगठन छोटा था और पैसों की कमी थी। हालांकि, 9 जून 1934 को इसमें बदलाव आया, जब SD को आधिकारिक तौर पर नाज़ी पार्टी की एकमात्र खुफिया एजेंसी घोषित कर दिया गया।

उस महीने के अंत में, हेड्रिक और अन्य SD के लीडर रोहम पर्ज में महत्वपूर्ण भूमिका में थे। यह शुद्धिकरण 30 जून और 2 जुलाई, 1934 के बीच हुई हत्याओं की एक श्रृंखला थी। इसने मुख्य रूप से SA (Sturmabteilung) को लक्षित किया। SA नाज़ी पार्टी का एक अन्य अर्धसैनिक समूह था, जो सत्ता में आने के दौरान एक वफादार, कट्टरपंथी और हिंसक बल था। लेकिन 1934 की गर्मियों तक, SA की संस्कृति और विचार हिटलर और नाज़ी शासन की इच्छाओं के अनुरूप नहीं थे। उनकी हिंसक कार्रवाइयों और सामाजिक परिवर्तन के आह्वान से कई जर्मन चिंतित हो गए। 

हिमलर और हेड्रिक दोनों ही इस सफ़ाई अभियान की योजना बनाने और उसे क्रियान्वित करने में सक्रिय रूप से शामिल थे। सफ़ाई अभियान से पहले, SD ने लोगों की सूची बनाने में मदद की जिन्हें मारा जाना था। हेड्रिक ने खुद बर्लिन में घटनाओं की देखरेख की, जबकि अन्य SD अधिकारियों ने म्यूनिख में सफ़ाई अभियान में भाग लिया। इस सफ़ाई अभियान से हेड्रिक और उसके SD अधिकारियों की क्रूरता के साथ-साथ हिटलर के प्रति उनकी वफादारी भी उजागर हुई। इसके बाद, SD का महत्व बढ़ने लगा।

1934 के अंत तक, SD में 850 पूर्णकालिक कर्मचारी थे, जो संगठन की शुरूआत के समय की संख्या से लगभग छब्बीस गुना अधिक था। SD में शामिल होने वाले पुरुष आमतौर पर युवा थे, जिनकी उम्र बीस या तीस के बीच थी। वे अच्छी तरह से शिक्षित भी थे। कई लोगों ने कानून की पढ़ाई की थी। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि SD के लोग नाज़ी आदर्शों के प्रति प्रतिबद्ध थे। 

हिमलर, हेड्रिक और SD का उदय 

1930 के दशक के मध्य और अंत में SD को शक्ति प्राप्त हुई, क्योंकि इसके निर्माता हेनरिक हिमलर नाज़ी नेतृत्व में अधिक महत्वपूर्ण हो गए। जैसे-जैसे हिमलर की शक्ति बढ़ी, वैसे-वैसे उनके डिप्टी, SD लीडर रेनहार्ड हेड्रिक की शक्ति भी बढ़ी। 

1936 की गर्मी हिमलर के उदय में एक महत्वपूर्ण क्षण था। हिमलर 1929 से ही SS के लीडर थे, जो नाज़ी पार्टी में एक पद था। जून 1936 में हिटलर ने हिमलर को जर्मन पुलिस का प्रमुख नियुक्त करके उन्हें और अधिक जिम्मेदारियाँ दीं। यह एक सरकारी पद था जिसमें हिमलर को सभी जर्मन पुलिस बलों का प्रभारी बनाया गया। इस प्रकार, हिमलर ने एक साथ दो प्रमुख पदों पर कार्य किया, एक नाज़ी पार्टी संरचना में और एक सरकार में। 

SS लीडर और जर्मन पुलिस के प्रमुख के रूप में अपनी भूमिका से, हिमलर ने SD को मजबूत करना और उसकी शक्ति बढ़ाना शुरू कर दिया।

SD और सिक्योरिटी पुलिस का संयोजन, 1936-1939 

SS के लीडर और जर्मन पुलिस के प्रमुख के रूप में, हिमलर का लक्ष्य SS और जर्मन पुलिस को एक शक्तिशाली संगठन में विलय करना था। इस नए SS और पुलिस सिस्टम में, उन्होंने देश के दुश्मनों को निशाना बनाने के लिए SD को जर्मनी की राजनीतिक और क्रिमिनल पुलिस के साथ सहयोग करने की योजना बनाई। 

1936 की पहली छमाही में, हालांकि, राजनीतिक और क्रिमिनल पुलिस अभी भी अलग-अलग संस्थाएं थीं। इसलिए, अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए, हिमलर को जर्मनी की राजनीतिक और क्रिमिनल पुलिस बलों को केंद्रीकृत और एकजुट करना पड़ा। जून 1936 में, हिमलर ने ऐसा किया। उन्होंने सिक्योरिटी पुलिस के मुख्य कार्यालय (Hauptamt Sicherheitspolizei, सिपो) की स्थापना की। सिक्योरिटी पुलिस में क्रिपो (क्रिमिनल पुलिस) और गेस्टापो (राजनीतिक पुलिस) शामिल थे। 

जिस समय हिमलर ने क्रिपो और गेस्टापो को सिक्योरिटी पुलिस में लिंक किया, उसी समय उन्होंने उन्हें SD के साथ संयोजित करने के लिए भी कदम उठाए। सबसे महत्वपूर्ण बात, हिमलर ने हेड्रिक को सिक्योरिटी पुलिस का प्रमुख नियुक्त किया। इसका मतलब यह था कि हेड्रिक अब SD और सिक्योरिटी पुलिस दोनों का प्रभारी था। उनका नया पद सिक्योरिटी पुलिस और SD का प्रमुख था। हिमलर की ही तरह, हेड्रिक के पास एक साथ दो पद संभालने को थे और वह दोनों समूहों के बीच व्यक्तिगत संपर्क का काम करते थे।

हिमलर और हेड्रिक को उम्मीद थी कि SD और सिक्योरिटी पुलिस एक साथ काम करेंगे। हालांकि, नाज़ी पार्टी और नाज़ी शासन की संरचना ने इसे कुछ मुश्किल बना दिया। यह एक जटिल नई प्रणाली थी जो नाज़ी पार्टी को जर्मन सरकार से जोड़ने वाले दोहरे पदों के निर्माण पर निर्भर करती थी। 

नाज़ी जर्मनी में SD और सिक्योरिटी पुलिस ने कैसे काम किया? 

युद्ध के पूर्व नाज़ी जर्मनी में, SD और सिक्योरिटी पुलिस की अलग-अलग, लेकिन पूरक भूमिकाएं थीं। ये भूमिकाएं नाज़ी सरकार में उनके अलग-अलग कार्यों और जर्मन सरकार के संगठन के आधार पर निर्धारित की गई थीं। 

SD एक नाज़ी पार्टी संगठन था और SS के अधीन था। इसका कार्य खुफिया जानकारी और सुरक्षा के पीछे के विचारों को सृजित करना था। मूलतः SD एक नाज़ी संगठन था। SD अधिकारियों ने नाज़ी विचारधारा के लेंस के माध्यम से दुनिया को देखा। और नाज़ी विचारों ने SD द्वारा की गई हर चीज को आकार दिया, जिसमें उनकी खुफिया प्रणाली की संरचना भी शामिल थी। SD ने नाज़ी जर्मनी के कथित घरेलू दुश्मनों का अध्ययन करने के लिए अलग-अलग खुफिया विभागों की स्थापना की। उन्होंने यहूदियों, वामपंथी मार्क्सवादी विरोधियों, यहोवा के साक्षियों जैसे धार्मिक समूहों, दक्षिणपंथी राष्ट्रवादियों और फ्रीमेसन पर केंद्रित विभाग स्थापित किए। लेकिन क्योंकि SD एक नाज़ी पार्टी संगठन था, इसलिए उसके पास नाज़ी जर्मनी में संभावित दुश्मनों को गिरफ्तार करने की शक्ति नहीं थी। यह शक्ति जर्मन आपराधिक न्याय प्रणाली के पास थी। 

SD के विपरीत, सिक्योरिटी पुलिस जर्मन सरकार के भीतर एक सिविल सेवा संगठन था। यह जर्मन पुलिस के प्रमुख और आंतरिक मंत्रालय के अधीन था। मूलतः, सिक्योरिटी पुलिस एक पुलिसिंग संगठन था। सिक्योरिटी पुलिसकर्मियों को आमतौर पर पुलिस प्रशिक्षण प्राप्त होता था, वे कानूनी प्रक्रियाओं को समझते थे, और उन्हें जांच-पड़ताल का अनुभव होता था। सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि सिक्योरिटी पुलिस के पास पुलिस का पावर था, विशेष रूप से आधिकारिक तौर पर गिरफ्तार करने का अधिकार था। 

सिद्धांततः, SD यह पता लगाएगा कि कौन या क्या खतरा है, जबकि सिक्योरिटी पुलिस वास्तविक गिरफ्तारियों का काम संभालेगी। हालाँकि, व्यवहार में, सिक्योरिटी पुलिस और SD के कार्य अक्सर एक दूसरे से मिलते-जुलते होते थे। नतीजतन, वे अक्सर अपना प्रभाव बनाने के लिए एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा करते थे। नाज़ी शासन के भीतर SD के कार्य ने उन कार्यों को दोहराया जो आमतौर पर पुलिस के लिए थे, जैसे जांच और निगरानी। SD को समीकरण में लाकर, हिमलर और हेड्रिक अंततः पुलिस अभ्यास को कट्टरपंथी और नाज़ी के अनुरूप बनाने में सफल रहे। 

SD और सिक्योरिटी पुलिस ने हमेशा अपने में प्रतिस्पर्धा की जिसके कारण एक साथ उन्होंने मिलकर अच्छा काम नहीं किया। इस समस्या को हल करने के लिए, हेड्रिक ने सिक्योरिटी पुलिस और SD के निरीक्षक (Inspekteur der Sicherheitspolizei und des SD, IdS) बनाए। उनका काम नाज़ी जर्मनी के एक दिए गए क्षेत्र में सभी सिक्योरिटी पुलिस और SD इकाइयों की देखरेख करना और सहयोग को प्रोत्साहित करना था। 

जर्मनी में, एसडी और सिक्योरिटी पुलिस ने हमेशा अपनी अलग जिम्मेदारियों और कर्तव्यों को बनाए रखा। हालांकि, ये भेद जर्मन-अधिकृत यूरोप में भंग हो गए। नाज़ी दृष्टिकोण से देखा जाए, तो कब्जे वाले क्षेत्रों में SD और सिक्योरिटी पुलिस क्या कर/ नहीं कर सकती थी, इस पर शायद ही कोई कानूनी प्रतिबंध था। यह विशेष रूप से जर्मन-कब्जे वाले पूर्वी यूरोप में सच था। 

SD की युद्धकालीन खुफिया भूमिका

द्वितीय विश्व युद्ध 01 सितंबर 1939 को पोलैंड पर जर्मन आक्रमण के साथ शुरू हुआ। युद्ध के दौरान, SD और सिक्योरिटी पुलिस को जर्मनी को उसके दुश्मनों से बचाने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता था। युद्ध के दौरान उनके महत्व को स्वीकार करने के लिए, हिमलर ने 27 सितंबर 1939 को राइक मुख्य सुरक्षा कार्यालय (Reichssicherheitshauptamt, RSHA) की स्थापना की। इस कार्यालय ने आधिकारिक तौर पर सिक्योरिटी पुलिस के मुख्य कार्यालय को SD के साथ मिला दिया। हेड्रिक ने जून 1942 में मरते दम तक RSHA का नेतृत्व किया। आखिरकार, एक अन्य SS अधिकारी, अर्न्स्ट काल्टेनब्रुनर ने इसका नियंत्रण संभाला। 

युद्ध के दौरान SD का विकास जारी रहा। 1940 तक, 4,300 पूर्णकालिक SD कर्मचारी थे। 1944 में यह संख्या बढ़कर 6,482 हो गई।

1941 तक, RSHA में दो SD कार्यालय थे: ऑफिस III SD डोमेस्टिक इंटेलिजेंस (SD-इनलैंड) और ऑफिस VI SD फॉरेन इंटेलिजेंस (SD-ऑस्ट्रेलिया)। 

युद्ध के दौरान SD डोमेस्टिक इंटेलिजेंस

युद्ध के समय नाज़ी जर्मनी में, SD ने संभावित दुश्मनों पर खुफिया जानकारी इकट्ठा करना जारी रखा। SD डोमेस्टिक इंटेलिजेंस (RSHA का कार्यालय III) ने भी समग्र रूप से जर्मन आबादी पर मूड रिपोर्ट संकलित की। इन रिपोर्टों में, SD यह दर्ज करता था कि युद्धकालीन क्षतियों पर नागरिकों की क्या प्रतिक्रिया थी और वे हिटलर और अन्य नाज़ी लीडरों के बारे में क्या सोचते थे। 

युद्ध के दौरान SD फॉरेन इंटेलिजेंस 

युद्ध के दौरान, SD फॉरेन खुफिया (RSHA का कार्यालय VI) ने अन्य देशों में खुफिया नेटवर्क स्थापित किया। उन्होंने जर्मनी के एक्सिस भागीदारों के क्षेत्र में गुप्त रूप से काम किया। उन्होंने कभी-कभी जर्मन विदेश कार्यालय के साथ प्रतिस्पर्धा में अपनी विदेश नीति का संचालन किया। विदेशी खुफिया जानकारी के क्षेत्र में SD का एक अन्य प्रतिस्पर्धी जर्मन सशस्त्र सेना (Amt Auslands/Abwehr) की खुफिया सेवा थी, जिसे अब्वेहर के नाम से जाना जाता था, जिसका नेतृत्व एडमिरल विल्हेम कैनारिस करते थे। फरवरी 1944 में, इस कार्यालय को  एम्ट मिल/Amt Mil के रूप में RSHA में शामिल किया गया था।

SD और होलोकॉस्ट 

होलोकॉस्ट में सिक्योरिटी पुलिस और SD इकाइयों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जर्मन-कब्जे वाले यूरोप के कई हिस्सों में, सिक्योरिटी पुलिस और SD लीडर भयानक अपराधों को अंजाम देने के लिए जिम्मेदार थे। उदाहरण के लिए, नीदरलैंड में कब्जे के दौरान, सिक्योरिटी पुलिस और SD के कमांडर (Befehlshaber der Sicherheitspolizei und des SD) डच यहूदियों को यातना कैंपों में भेजने के आयोजन का प्रभारी था।

सबसे कुख्यात सिक्योरिटी पुलिस और SD इकाइयां इन्सत्ज़ग्रुपपेन (टास्क फोर्स या विशेष कार्रवाई समूह) थीं। कभी-कभी अंग्रेजी में इन्हें मोबाइल किलिंग यूनिट कहा जाता है। इन्सत्ज़ग्रुपपेन (मोबाइल किलिंग यूनिट) सिक्योरिटी पुलिस और SD की इकाइयां थीं जिसे 1938 में बनाया गया था। इन्सत्ज़ग्रुपपेन को जर्मन सशस्त्र बलों द्वारा हाल ही में जब्त किए गए क्षेत्रों में ड्यूटी के लिए तैनात किया गया था। उनका कार्य विभिन्न सुरक्षा उपायों को करना था। उनके कार्यों में जर्मन नियंत्रण का विरोध करने वाले दुश्मनोंको ढूंढना और रोकना, दुश्मन से प्रतिरोध रोकने के लिए महत्वपूर्ण स्थानों पर कब्जा करना, और जानकारी इकट्ठा करने के लिए सहायकों की भर्ती करना शामिल था। इन्सत्ज़ग्रुपपेन एक कठोर समूह था जिसने नाज़ियों के कब्जे के दौरान उनकी हिंसक नीतियों का कार्यान्वयन किया था। 

जून 1941 में जर्मनी द्वारा सोवियत संघ पर आक्रमण के बाद यहूदियों की सामूहिक हत्या करने के लिए इन्सत्ज़ग्रुपपेन को सबसे अधिक जाना जाता है। कई SD में कई लोग शामिल हुए और इन्सत्ज़ग्रुपपेन का नेतृत्व किया। RSHA में SD डोमेस्टिक कार्यालय के लीडर ओट्टो ओहलेंडोर्फ ने सीधे तौर पर इन्सत्ज़ग्रुप डी की कमान संभाली थी। इस यूनिट को दक्षिणी यूक्रेन, क्रीमिया और उत्तरी काकेशस में तैनात किया गया था। 2 जनवरी 1942 को ओहलेंडोर्फ ने बताया कि उनकी यूनिट ने 16 नवंबर और 15 दिसंबर 1941 के बीच पश्चिमी क्रीमिया में 17,645 यहूदियों को मार डाला था। इस रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने 2,504 क्रिमचक्स (क्रीमिया में यहूदियों का एक उपसमूह), 824 रोमा और 212 कम्युनिस्टों और पक्षपातियों को भी गोली मार दी थी। 

ओहलेंडॉर्फ की रिपोर्ट केवल एक उदाहरण का प्रतिनिधित्व करती है जिसमें SD ने सामूहिक हत्या को अंजाम दिया था। सभी ने बताया, SD लाखों लोगों की हत्या के लिए जिम्मेदार था और इसमें शामिल था।

नुरेमबर्ग में SD ऑन ट्रायल

द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में, सहयोगी शक्तियों के लिए यह स्पष्ट था कि SD नाज़ी अपराधों का एक प्रमुख अपराधी है। नुरेमबर्ग (IMT) में अंतर्राष्ट्रीय सैन्य न्यायाधिकरण ने पाया कि SD एक आपराधिक संगठन था। 

IMT और युद्ध के बाद के अन्य परीक्षणों में SD के अपराधों को अच्छी तरह से प्रलेखित किया गया था। सबसे उल्लेखनीय उच्च-स्तरीय SD अधिकारी ओटो ओहलेंडॉर्फ का एक हलफनामा था। उन्होंने खुले तौर पर स्वीकार किया कि उनके नेतृत्व में, इन्सत्ज़ग्रुप डी ने 1941 और 1942 में पूर्वी यूक्रेन और क्रीमिया में 90,000 नागरिकों, जिनमें ज्यादातर यहूदी थे, की हत्या की थी। बाद में ओहलेंडोर्फ पर मानवता के विरुद्ध अपराध के लिए मुकदमा चलाया गया, जिसे इन्सत्ज़ग्रुपपेन ट्रायल के नाम से जाना जाता है। उसे दोषी पाया गया और मौत की सजा सुनाई गई।

जर्मनी की पराजय के बाद, मित्र देशों ने सोवियत संघ, ग्रेट ब्रिटेन, फ्रांस और संयुक्त राज्य अमेरिका के सैन्य न्यायाधीशों के न्यायाधिकरण के समक्ष थर्ड रिच के प्रमुख राज्य और पार्टी अधिकारियों और सैन्य कमांडरों पर मुकदमा चलाया। इस अंतर्राष्ट्रीय सैन्य न्यायाधिकरण ने 22 प्रमुख युद्ध अपराधियों पर मुकदमा चलाया, जिसे आमतौर पर नूर्नबर्ग मुकदमा के रूप में जाना जाता है, जो नवंबर 1945 से अक्टूबर 1946 तक चला। इस फुटेज में आरोपी को शांति के विरुद्ध अपराध, युद्ध अपराध और मानवता के विरुद्ध अपराध के आरोपों पर अभियोग लगाए जाने के बाद दलीलें देते हुए दिखाया गया है। न्यायाधिकरण ने हजलमर स्कैच, फ्रांज वॉन पापेन और हंस फ्रिट्ज़शे को बरी कर दिया। हरमन गोरिंग, विल्हेम कीटेल, जोआचिम वॉन रिबेंट्रोप और अर्न्स्ट कल्टेनब्रनर सहित बारह प्रतिवादियों को मौत की सजा सुनाई गई। अन्य लोगों को दस वर्ष से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा दी गई।

क्रेडिट:
  • National Archives - Film

Thank you for supporting our work

We would like to thank Crown Family Philanthropies, Abe and Ida Cooper Foundation, the Claims Conference, EVZ, and BMF for supporting the ongoing work to create content and resources for the Holocaust Encyclopedia. View the list of all donors.

शब्दावली