![Chart with the title: "Die Nürnberger Gesetze." [Nuremberg Race Laws].](https://encyclopedia.ushmm.org/images/large/423ec6b8-6e77-4854-8f87-41610aa4c747.jpg)
“आर्यनीकरण”
"आर्यनीकरण" (जर्मन में, Arisierung) का मतलब 1933 से 1945 तक नाजी जर्मनी में गैर-यहूदियों को हस्तांतरित की गई यहूदी-स्वामित्व वाली संपत्ति है। इसका उद्देश्य यहूदी लोगों के स्वामित्व वाले आर्थिक उद्यमों को “आर्यन” जो गैर-यहूदी लोग हैं उनको देना था।
"आर्यीकरण" के दो अलग-अलग चरण थे:
- 1933 से 1938 के ग्रीष्म तक: “स्वैच्छिक आर्यीकरण”
- 1938 के अंत से लेकर 1945 में नाजी शासन के अंत तक: “जबरन आर्यनीकरण”
"स्वैच्छिक आर्यनीकरण"

"स्वैच्छिक आर्यनीकरण" के तहत, नाजी जर्मन राज्य ने यहूदी व्यापारियों को, जो पहले से ही आर्थिक और सामाजिक भेदभाव का सामना कर रहे थे, जर्मनी में अपने व्यवसायों को मूल रूप से कम कीमतों पर बेचने के लिए मजबूर किया।
1933 की शुरुआत में, जर्मनी में लगभग 100,000 यहूदी-स्वामित्व वाले व्यवसाय थे। इनमें से लगभग आधे छोटे रिटेल स्टोर थे जो ज्यादातर कपड़ों या जूते में काम करते थे। बाकी वकीलों, चिकित्सकों और अन्य स्वतंत्र पेशेवरों के लिए विभिन्न स्तर के या प्रोफेशनल ऑफिस के कारखाने या कार्यशालाएं थीं।
1938 तक, नाज़ियों के आतंक, प्रोपोगेंडा, बहिष्कार और कानून ने एक साथ यहूदियों पर इतना प्रभाव डाला कि दो-तिहाई यहूदी-स्वामित्व वाले उद्यम अपने व्यवसाय से बाहर हो चुके थे या गैर-यहूदियों को बेच दिए गए थे। यहूदी व्यवसाय मालिक, जो देश छोड़ने की कोशिश कर रहे थे या अपने व्यवसाय में परेशानी का सामना कर रहे थे, उन्हें अंततः अपने व्यवसाय को उनकी वास्तविक कीमत के 20 या 30 प्रतिशत मूल्य पर बेचना पड़ा।
"जबरन आर्यनीकरण"
9-10 नवंबर, 1938 (क्रिस्टलनाच) को हिंसक राष्ट्रव्यापी नरसंहार के तुरंत बाद, "आर्यनीकरण" का दूसरे चरण शुरू हुआ: सभी यहूदी-स्वामित्व वाले व्यवसायों को गैर-यहूदियों को जबरन हस्तांतरित करना।
नवंबर के नरसंहार के बाद, नाजी जर्मन राज्य ने नए नियम जारी किए जो यहूदियों को देश में अधिकांश आर्थिक गतिविधियों में भाग लेने से प्रतिबंधित करते थे। शासन ने यहूदियों के स्वामित्व वाले बचे सभी व्यवसाय को नियंत्रित करने के लिए एक गैर-यहूदी व्यक्ति को नियुक्त किया। यह ट्रस्टी व्यवसाय को जल्दी से जल्दी किसी ऐसे व्यक्ति को बेचने के लिए जिम्मेदार था जो यहूदी नहीं था। इस काम के लिए ट्रस्टी द्वारा लिया जाने वाला शुल्क अक्सर व्यवसाय के बिक्री मूल्य से थोड़ा ही कम होता था, और यहूदी मालिकों को ही इसका भुगतान करना पड़ता था। व्यवसायों की बिक्री से प्राप्त धनराशि का कुछ मुनाफा हरमन गोरिंग द्वारा संचालित चार वर्षीय योजना कार्यालय को भी दिया जाता था, जो जर्मन अर्थव्यवस्था को युद्ध के लिए तैयार करने पर काम कर रहा था।
बड़े पैमाने पर हथियार उत्पादन के भुगतान में सहायता करने के लिए सरकार ने यहूदी लोगों से एक-एक करके उनकी संपत्ति और मूल्यवान वस्तुएं ले लीं। जो जर्मन यहूदी देश छोड़ना चाहते थे, उन्हें अपनी अधिकांश संपत्ति छोड़नी पड़ी। जर्मन सरकार ने देश छोड़ने की कोशिश कर रहे यहूदियों पर बहुत अधिक "फ्लाइट टैक्स" लगाया।
इसके अलावा, क्रिस्टलनाख्त के बाद, गोरिंग ने जर्मनी में यहूदी आबादी पर एक अरब रीचमार्क (RM) जुर्माना लगाया। यह जुर्माना एक व्यक्तिगत कर था जिसे 5,000 RM से अधिक संपत्ति वाले प्रत्येक यहूदी व्यक्ति को देना पड़ता था। राज्य ने बीमा के सभी भुगतान भी ले लिए जो यहूदी संपत्ति मालिकों को मिलने चाहिए थे। नरसंहार के बाद, इन मालिकों को अपनी क्षतिग्रस्त संपत्ति की मरम्मत के लिए जिम्मेदार बनाया गया। इन जुर्मानों और अतिरिक्त करों का भुगतान करने के बाद, बची हुई धनराशि को जर्मन बैंकों के ब्लॉक खातों में जमा कर दिया जाता था। इन खातों की निगरानी नाजी जर्मन राज्य द्वारा की जाती थी। यहूदी मालिक हर महीने केवल एक निश्चित राशि ही निकाल सकते थे, जो उनके आम जीवन-यापन खर्च पूरा करने के लिए पर्याप्त थे।
युद्ध के दौरान, नाजी जर्मन राज्य ने इन ब्लॉक खातों की शेष धनराशि जब्त कर ली। "अंतिम समाधान" के हिस्से के रूप में जिन यहूदियों को अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर किया गया और पूर्वी यूरोप भेजा गया, उनसे उनकी सारी चीज़ें छीन ली गईं और फिर उन्हें नीलामी में बेच दिया या उन बमबारी के पीड़ितों को दे दिया जिन्होंने जर्मन शहरों में मित्र देशों की बमबारी के कारण अपनी संपत्ति खो दी थी।
प्रभाव
नाज़ियों द्वारा जर्मनी में यहूदियों से ली गई संपत्ति के कुल मूल्य के लिए कोई सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। लेकिन यह स्पष्ट है कि जर्मनी छोड़कर जानेवाले यहूदी अपनी संपत्ति का केवल एक छोटा सा हिस्सा अपने साथ ले जाने में सक्षम थे। युद्ध के दौरान निर्वासित किए गए लोगों ने सब कुछ खो दिया; अधिकांश ने अपनी जान भी खो दी।