व्लादका बंड (यहूदी सोशलिस्ट पार्टी) के जुकुनफ्ट युवा आंदोलन से जुड़ी हुई थीं। यहूदी लड़ाई संगठन (ZOB) की सदस्य के तौर पर वह भूमिगत रहकर वारसॉ यहूदी बस्ती में सक्रिय थी। दिसंबर 1942 में, उन्हें वारसॉ के आर्यन, पोलिश क्षेत्र की ओर तस्करी करके लाया गया था, ताकि वह हथियार प्राप्त कर सके और बच्चों और वयस्कों के लिए छुपने का स्थान तलाश सकें। वह भूमिगत. शिविरों, जंगलों और अन्य यहूदी बस्तियों में रहने वाले यहूदियों के लिए सक्रिय कूरियर बन गई।
(व्लादका): क्यूंकी यह देश निकाला था और उन्हें [व्लादका की माँ] मेरे भाई सहित देश से निकाला गया
(इंटरव्यू लेने वाला): हमें बताएं।
(व्लादका): मुझे तो, आपको पता है, मेरी तमन्ना थी कि उम्सक्लागप्लात्ज़ [असेंबली पॉइंट] से निकल पाऊँ और मैंने सोचा कि अगर मैं हमारे घर में होने वाले पुलिसकर्मियों में से किसी को रिश्वत दूं तो काम बन जाए। मेरे पास बस एक छोटी सी घड़ी या कुछ और चीजें थीं और कभी-कभार पुलिसकर्मी लोगों को उम्सच्लागप्लात्ज़ से बाहर निकाल देते थे। मेरा उनके पास जाने से भी काम भी नहीं बना, और अंततः मैंने उनके साथ जाने का फैसला किया। मैंने उन्हें बताया कि उन्हें देश से निकाले जाने पर मैं भी साथ होउंगी और मैं उम्सक्लागप्लात्ज़ गई, लेकिन कुछ ऐसा हुआ कि मैं फैसला ही नहीं ले सकी और वहां नहीं गई, क्योंकि मुझे सबकी नज़रों से दूर छिपकर रहते हुए यह पता था कि इस देश निकाले से हम दूसरे स्थानों पर नहीं जाने वाले। यदि वो दौर मेरी जवानी का होता तो मैं उसके पास नहीं जा सकी, और आज भी मुझे इसका अफसोस है। और वह मेरे छोटे भाई के साथ चली गई और मैंने बताया था कि उम्सक्लागप्लात्ज़ से उसने छोटी सी पर्ची में लिखकर भेजा था कि वह भूखा है और वे जा रहे हैं, उस समय वे लोगों के ट्रेनों में दाखिल होने से पहले ब्रेड और मुरब्बा दे रहे थे, ताकि उन्हें इस बात का यकीन दिलाया जा सके कि दूसरे शहरों में उन्हें दोबारा बसाया जाएगा, जबकि सच बात तो यह थी कि उन्हें ट्रेब्लिंका, गैस चैंबरों में ले जाया जा रहा था।
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